Fir Mahobbat karni hai…

फिर मोहब्बत करनी है मुझसे तो शुरुआत वहीं से कर… जिस जगह से तूने मुझे बड़ी नफरत से देखा था…. || Fir Mahobbat karni hai mujhse to Shuruat wanhi se…

Uske Intzaar Ke Mare Hain Hum

उसके इंतज़ार के मारे हैं हम बस उसकी यादों के सहारे हैं हम || दुनिया जीत के क्या करना है अब जिसे दुनिया से जीतना था, आज उसी से हारे…

Kaash Unhe Chahne Ka Aasma Na Hota

काश उन्हें चाहने का अरमां ना होता मैं होश में होते हुए अनजान ना होता | ये प्यार ना होता पत्थर दिल से हमें या वो पत्थर दिल इनसान ना…