उड़ा देती हैं नींदे कुछ जिम्मेवारियां घर की, रात भर जागने वाला हर शख्स आशिक़ नहीं होता.. udaa deti hain neendein kuchh Zimmewariyan ghar ki, rat bhar jagne wala har…
उम्र ज़ाया करदी लोगो ने औरों के वजूद में नुक्स निकलते-निकलते, इतना खुद को तराशा होता तो फ़रिश्ते बन जाते.. umar zaya kardi logo ne auro ke wajud mein nukas…
खुदा जाने कौन सा गुनाह कर बैठे हैं हम, तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे हैं.. Khuda jane kon sa Gunah kar baithe hain hum, Tamannao wali umra mein…
चढ़ती थी उस मज़ार में चादरें बेशुमार, और बाहर बैठा एक फ़क़ीर सर्दी में मर गया.. chadhti thi us mzaar mein chaadrein Beshumar, aur bahar baitha ek faqir sardi mein…