किसको क्या मिला इसका कोई हिसाब नहीं, तेरे पास रूह नहीं मेरे पास लिबास नहीं || Kisko kya mila iska koi hisaab nahi, Tere pass rooh nahi mere pass libaas…
इंसानियत(Insaniyat) खुद में एक धर्म(Dharm) है, इसे हम धर्म(Dharm) अलग नहीं कर सकते बिना इंसानियत(Insaniyat) के धर्म (Dharm) ऐसे है जैसे बंजर भूमि जिसमे जितना भी बीज डालते जायो खेती कभी…
क्रोध आखिर है क्या? आइये जाने इसके बारे में मैंने बहुत बार इस बारे में सोचा के आखिर गुस्सा/क्रोध है क्या? और क्यों आज हर दूसरा तीसरा इंसान इससे परेशान…