किसी रोज़ होगी रोशन, मेरी भी ज़िंदगी, इंतज़ार सुबह का नही, किसी के लौट आने का है|| Kisi roz hogi roshan, Meri bhi Zindagi, Intzaar subah ka nahi, Kisi ke…
बड़ी अजीब सी है शहरों की रोशनी उजालो के बावजूद भी चेहरे पहचानने मुश्किल हैं || Badi ajeeb si hai shehro ki roshni Ujalo ke bawjud bhi chehre pahchanne mushqil…
लफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती है जुबान कभी-कभी पता नहीं ख़ामोशी मज़बूरी है या समझदारी || Lafzo ke bojh se thak jati hai zuban kabhi-kabhi Pta nahi khamoshi majburi…