किस ज़रूरत को दबाऊ किसे पूरा करलु.. अपनी तनख्वाह को कई बार गिना है मैंने.. Kis Zrurat ko dbau kise pura karlu, apni tankhwah ko kai bar gina hai maine..
ढूंढना ही है तो परवाह करने वालों को ढूंढ़िये... इस्तेमाल करने वाले तो ख़ुद ही आपको ढूंढ लेंगे|| Dhundna hi hai to parwah karne walo ko dhundiye, Istemaal karne wale…
फितरत तो कुछ यूं भी है इंसान की, बारिश खत्म हो जाये तो छतरी बोझ लगती है || Fitrat to kuchh yu bhi hain insan ki, barish khatm ho jaye to chhatri bhi bojh…
कुछ लोग 'slipper' चप्पल जैसे होते हैं,जो साथ तो देते हैं पर आपके पीछे से कीचड उछालते रहते हैं.. Kuchh log 'slipper' chappal jaise hote hai,jo sath to dete hain…