क्रोध – “क्रोध एक तरह का पागलपन है”

क्रोध आखिर है क्या? आइये जाने इसके बारे में

मैंने बहुत बार इस बारे में सोचा के आखिर गुस्सा/क्रोध है क्या? और क्यों आज हर दूसरा तीसरा इंसान इससे परेशान है.. और सब जानते हुए भी के इसके क्या-क्या नुकसान है चाह कर भी इससे निजात नहीं पा पाता.. चलिए इस बारे में गहरायी से जानने की कोशिश करते हैं..

आज सभी चाहते हैं के हमारा घर स्वर्ग बन जाये खासकर औरते पायी पायी बचा कर घर का डेकोरेशन का सामान बनाती हैंकयोंकि घर को  स्वर्ग बनाना चाहती हैं लेकिन जब आपकों क्रोध आता है तो वो सब होकर भी आपका क्रोध उसे नरक बना देता है और नरक में कोई रहना नहीं चाहता| सारी मेहनत पर आपका क्रोध पानी फेर देता है आपने जो मेहनत करके स्वर्ग बनाया होता और नरक ऐसी जगह होती है जहा कोई भी रहना नहीं चाहता है इसलिए सरे सुख के साधन होते हुए भी फिर भी सुख हमको मिलता नहीं है क्योंकि क्रोध हमारे उस सुख का नाश कर देता है इसलिए ऐसी भयंकरऔर खतरनाक चीज़ जो हमें स्वर्ग से नरक में ले आये उसे निकल दें अपने जीवन से.. और हम में से भी कई लोगो ने यह महसूस किया होता है के जिस-जिस घर में क्रोध हो रहा है इस समय वहां बच्चे से लेकर बड़े तक बेज़ार हैं सिर्फ किसी एक व्यक्ति के क्रोध के कारण पूरा घर जल रहा होता है यदि हम अपने जीवन में अपनी इच्छाओं को शांत करले, जो हो गया वो  ठीक है और किसी ने कह दिया तो भी ठीक है|हम में से ही कुछ लोग ऐसे होंगे जो क्रोध की सज़ा भुगत रहे होंगे..ऐसे क्रोध को हम क्यों नहीं त्याग देते जो माँ बेटे को अलग कर  देता है पति और पत्नी को भाई-भाई को अलग करवा  देता  है| हम क्यों नहीं शुक्र करते हैं भगवान का की जो हुआ बहुत अच्छा हुआ.. कई औरते पति के लेट आने पर अक्सर झगड़ा करती हैं पर यह क्यों नहीं समझती के पति लेट आया तो  भी भगवान का  शुक्र करे की आया तो सही… तो फिर गुस्सा आएगा ही नहीं अगर आता ही नहीं  तो क्या करते??? उन्हें समझना चाहिए अगर वो पति ही न रहे तो किस परगुस्सा करेंगे|  आदमी लोग अपनी पत्नियों पर क्रोध करते हैं के यह क्या बनाया मायके वालो ने कुछ सिखाया नहीं.. अगर पत्नी  ने दाल चावल बनाये तो भी शुक्र करे के मिले तो सही ऐसे बी लोग हैं जिन्हे सूखी रोटी तक भी नसीब नहीं होती तो क्रोध आएगा ही नहीं | इसलिए अपने ऐसे शत्रु को घर से निकल फेंके जो आपके घर में अशांति ही अशांति फैला देता है क्यांकि  क्रोधवश आप तो डूबोगे ही पर आपके  साथ  पूरे  परिवार को डूबना पड़ता है कभी कभी पति- पत्नी का झगड़ा होता है  पत्नी अपने ऊपर केरोसीन डाल लेती है खुद तो मर जाती है  पर बच्चो को दर-दर की ठोकरे खानी पड़ती हैं|  कभी सोचा है के हमारे छोटे बचो का क्या कसूर होता है  के आपके क्रोध की सज़ा आपके बचो को भुगतनी पड़ती है| कई औरते  तो ऐसी  भी होती हैं को जो क्रोध में जलने को तो त्यार हो जाती हैं परन्तु जल कर फिर वापिस बच जाती हैं  हाथ खराब हो जाता है चेहरा खराब हो जाता है जमाने की हंसी का कारन बनकर रह जाती हैं.. कई लोग ऊपर से तो गिरने को गिर जाते हैं परन्तु बच जाते हैं पर टाँगे कटवा देते, हाथ कटवा देते हैं, जुबान रह जाती है और ज़माने में मज़्ज़ाक़ का कारन बनकर रह जाते हैं सिर्फ  कुछ देर के  क्रोध के कारण | इसलिए क्यों न हम अपने जीवन को सरल बनाएं कोम्प्रोमाईज़ की आदत डाले.. इसलिए जो भगवान करता है वो अच्छा करता है  याद रखो के हमारा ईश्वर कभी भी हमारे लिए बुरा नहीं करेगा उसके हर काम में हमारी भलाई होती है हम ही हैं जो समझ नहीं पाते लेकिन जब परिणाम आता है तो पता लगता है के भगवान तुम ही सही थे | इसी बात पर मुझे एक कहानी याद आ गयी..

“जैसे एक आदमी था उसे कही भी नौकरी नहीं मिलती थी वो दर-दर भटकता था उसे कोई भी नहीं रखता था उसे लगता मैं सबसे बड़ा अभागी हु उसे जो भी  मिलता वो उसे कहता के तुम्हारे भगवान ने देखो मेरे साथ आज तक कभी अच्छा नहीं किया  देखो मुझे बचपन से लेकर अब तक सर्फ दुःख ही दुःख दिए,उसने मेरे साथ हमेश बे इंसाफ़ी ही की है  वो हर वक़्त ऊपर वाले को कोसता ही रहता|ऐसे करते करते एक दिन उसे दुबई में जॉब लग गयी उसमे अहंकार आ गया के मेरे भाग खुल गए अब मैं दुबई जाऊंगा बहुत कमाऊंगा मुझे भगवान की क्या ज़रूरत.. ऐसे ही जॉब का दिन भी आ गया उसकी फ्लिघ्त थी अगले दिन दुबई की इसलिए वो सुबह जल्दी उठा टैक्सी ली और भगा एयरपोर्ट की और पर रस्ते में टैक्सी का एक्सीडेंट हो गया और उसकी फ्लाइट निकल गई  उसने फिर से भगवान को कोसना शुरू क्र दिया देखा तुम तो कभी मेरा अच्छा होते हुए देख ही ही सकते मुंह तक आया हुआ नेवाला छीन लिया और आपकी किस्मत को फिर से कोसने लगा..  घर वापिस आया  और मुंह उतर क्र बैठ गया तभी उसे पता चला के जिस फ्लाइट में वो जाने वाला था उस फ्लाइट का टेक ऑफ करते ही क्रैश हो गया  और सब के सब यात्री मरे गए.. तब उसने भगवान का शुक्र किया ||”

क्रोध का नुकसान

क्रोध करने को तो आप एक पल के लिए करते हैं पर बाद में सारा दिन आपका कलप कलप कर जाता है|  क्रोध के बाद हम पश्चाताप करते हैं के मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था यह गलत हो गया मुझसे या ज़्यादा कह दिया मैंने.. काश मैंने क्रोध न किया होता कई बार आप ऐसा काम कर जाते हैं क्रोधवश के जिसकी वजह से हमें सारी उम्र रोना पड़ता है क्योंकि क्रोध अँधा होता है, क्रोध बहरा होता है, क्रोध पागल होता है, वो नहीं देखता है के सामने माँ है पिता है या बच्चा है और उस क्रोध की सज़ा तो हमको मिलती ही है  पर हमारे पूरे परिवार  को भी भुगतनी पड़ती  है | याद रखिये चूल्हे की अग्नि तो पानी डालने से बुझ जाती है पर हमारे अंदर क्रोध की अग्नि सब जलाने के बाद ही बुझती है क्रोधी व्यक्ति हमेशा अंदर ही अंदर जलता ही रहता है यह अग्नि कभी बुझती नहीं |

“एक गाँव में एक साधु आये उनकी बहुत ख्याति थी के वह बहुत दिगंबर साधु महात्मा हैं, वो कहते थे के मैंने अपने आप को जीत लिया  है इसलिए वो अग्नि के सामने बैठ कर तपस्या करते थे और कहते थे के यह अग्नि मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकती | उसी गाँव में एक और विवेकी संत आये उन्होंने सोचा के यह संत कहते हैं के यह अग्नि मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकती तो ज़रा देखु के इनके अंदर सच में अग्नि बची है के नहीं| इसलिए जब वो तपस्या करके बैठे तो अग्नि सारी बुझ गई थी तो विवेकी संत ने  कहा महाराज आप कृपा करके थोड़ी अग्नि मुझे देदें.. उस साधु ने कहा के अब तो अग्नि बुझ चुकी है आप कल आएं| तो विवेकी साधु चले गए और  फिर थोड़ी देर बाद वो वापिस आये और कहा महाराज अग्नि है ? उन्होंने फिरसे कहा अभी तो कहा अग्नि बुझ चुकी है और वो संत  वापिस चले गए.. इसी प्रकार वो विवेकी संत 5 से 10 मिंट बाद फिर वापिस आये और कहने लगे के महाराज अग्नि है..?? साधु क्रोध में आकर कहने लगे के तुम्हे एक बार में सुनाई नहीं देता.. पागल हो क्या.. अभी तो कुछ देर पहले बताया के अग्नि बुझ चुकी है.. तभी उस विवेकी संत ने मुस्कुरा कर कहा के महात्मा अभी अग्नि कहा बुझी है? अग्नि तो आपके अंदर जल रही है अभी क्रोध रुपी अग्नि, लकड़ियों की अग्नि बुझने से क्या होगा.. “

कुछ अन्य नुक्सान..

  1. गुस्सा करने वाला व्यक्ति दूसरे का नुकसान कर पाये या नहीं लेकिन खुद का नुकसान तो जरूर कर लेता है। इससे उस व्यक्ति कोहृदय रोग,डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, नींद नहीं आना, मानसिक तनाव, प्रतिरोधक क्षमता में कमी आदि बीमारियाँ होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
  2. इसके अलावा इस स्वाभाव के कारण उस व्यक्ति काकैरियर पीछे रह जाता है , उसके रिश्ते टूट कर बिखर जाते है। वह व्यक्ति खुद अपनों के दिल पर ऐसे घाव बना देता है जो कभी भर नहीं पाते।
  3. गुस्सा करने वाले व्यक्ति केअपने परिवार वाले भी उस पर विश्वास नहीं कर पाते , कोई उनसे आराम से बात नहीं कर पाता , ईमानदारी से सच बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते , विशेषकर बच्चों के लिए तो यह अनुभव भयानक होता है जो जिंदगी भर उनका दिल दुखाता है।

क्रोध पर नियंत्रण कैसे पाएं

आप अपने क्रोध को कण्ट्रोल करे अपने लिए नहीं अपने परिवार के लिए  अपने बच्चो के लिए..इसके लिए  शुक्र करना और सबर करना सीख ले और जब सबर और शुक्र करना आप सीख जाएं तो इच्छा कम हो जाएगी| सो गुस्से को कण्ट्रोल करने का सीधा रास्ता है इच्छा पर नियंत्रण करना| जब आप को गुस्सा आता है तो कुछ देर के लिए तो आपको बहुत अच्छा लगता है कुछ देर के लिए तो आप खुद को राजा समझते हो के देखा मेरे आगे कोई नहीं बोलता मैंने सबको चुप करवा दिया.. पर याद रखना क्रोधी व्यक्ति के पीठ पीछे सब लोग उनका मज़्ज़ाक़ उड़ाते हैं मुंहे बुरा भला कहते हैं  क्रोध करते हैं क्योंकि क्रोधी इंसान को कोई पसंद नहीं करता | मुँह पर तो तारीफ करते हैं पर बुराई शुरू क्र देते हैं आपके जाते ही, अगर हम सब अपने क्रोध पर नियत्रण करे तो सारा घर बच जाएगा वरना सारा घर जल जाएगा आपके क्रोध से| कुछ और ध्यान देने वाली ज़रूरी बातें..

  1. आप दूसरे लोगों कोया परिस्थितियों को नहीं बदल सकते जो आपको गुस्सा दिलाते हैं लेकिन ऐसे में खुद में बदलाव लाने की कोशिश जरूर कर सकते हैं।
  2. आपको भी महसूस होने लगता है कि गुस्सा आने परआप पर एक ताकतवर और अप्रत्याशित चीज हावी हो जाती है जो आपको नुकसान पहुंचाती है , अतः इसे कतई हावी ना होने दें।
  3. गुस्सा करने से पहले एक बार सोचें – क्या इस बात या स्थितिके लिए गुस्सा करना ठीक है ? क्या गुस्सा करके बचा हुआ दिन बर्बाद करना सही होगा ? क्या कोई दूसरा उपाय हो सकता है ? क्या यह कीमती समय का सदुपयोग है ?

क्रोध रोके रुका ही नहीं

क्रोध रोके रुका ही नहीं   
मुठ्ठियों में बँधा ही नहीं

कैसे मंज़िल पे पहुँचेगा वो
आजतक जो चला ही नहीं

बाँटते-बाँटते कर्ण की
गाँठ में कुछ बचा ही नहीं

कितने सालों से घर में कोई
खिलखिलाकर हँसा ही नहीं

एड्स या कैंसर की तरह
शक की कोई दवा ही नहीं

जो लिपट न सकी पेड़ से
सच कहूँ वो लता ही नहीं

ऋण सभी पर रहा साँस का
मरते दम तक चुका ही नहीं